खतम कुरान होने पर किया गया अलीशान आयोजन

एम. ए. हक 
हुसैनी जामिया मस्जिद में कुरान शरीफ की तिलावत और धार्मिक सौहार्द का संदेश  
भूमिका:
हुसैनी जामिया मस्जिद, एक ऐसा पवित्र स्थान जहां इबादत और इंसानियत का पैगाम दिया जाता है। यहां की फिजा में अमन, मोहब्बत और भाईचारे की खुशबू हमेशा महसूस की जा सकती है। हाल ही में इस मस्जिद में एक ऐसा वाकया पेश आया, जिसने धार्मिक सौहार्द और आपसी मेल-मिलाप की मिसाल पेश की।
इस मौके पर हाफिज यूसुफ सिद्दीकी ने कुरान शरीफ की तिलावत की और मस्जिद के खतीब और इमाम मौलाना शाहबाज आलम अशरफी ने वहां मौजूद लोगों को अमन और भाईचारे का पैगाम दिया। 
हाफिज यूसुफ सिद्दीकी द्वारा कुरान शरीफ की तिलावत
हुसैनी जामिया मस्जिद में जब हाफिज यूसुफ सिद्दीकी ने कुरान शरीफ की तिलावत शुरू की, तो पूरा माहौल रूहानी हो गया। कुरान की आयतें जब गूंजने लगीं, तो वहां मौजूद हर शख्स की आंखें बंद हो गईं और दिल अल्लाह की याद में मग्न हो गया। कुरान शरीफ की तिलावत सिर्फ इबादत का हिस्सा नहीं, बल्कि यह इंसानियत को राह दिखाने वाली किताब है, जिसमें हर मर्ज का इलाज और हर सवाल का जवाब मौजूद है।  कुरान का संदेश
कुरान शरीफ में अल्लाह ने फरमाया है:  
वह इंसान कामयाब है, जो अपने अंदर तकवा (ईमान) पैदा करता है और लोगों के साथ भलाई करता है।
इस आयत का मतलब है कि इंसानियत की सच्ची राह पर वही चल सकता है, जो अल्लाह पर यकीन रखता है और लोगों के साथ अच्छा बर्ताव करता है।  
मौलाना शाहबाज आलम अशरफी का बयान
मस्जिद के इमाम और खतीब, मौलाना शाहबाज आलम अशरफी ने तिलावत के बाद मौजूद लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस्लाम सिर्फ इबादत का नाम नहीं, बल्कि यह जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने का पैगाम भी देता है। उन्होंने कुरान की उस आयत का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है:  
अल्लाह ने तुम्हें कौमें और कबीले इसलिए बनाए ताकि तुम एक-दूसरे को जानो और पहचानो।
मौलाना शाहबाज आलम ने इस बात पर जोर दिया कि सभी धर्म एक ही ईश्वर की ओर इशारा करते हैं और इंसानियत की राह में कोई भी धर्म नफरत और फसाद की इजाजत नहीं देता।  
धार्मिक सौहार्द और सामूहिक एकता का उदाहरण
इस पूरे कार्यक्रम ने समाज में धार्मिक सौहार्द की मिसाल कायम की हुसैनी जामिया मस्जिद में जब कुरान शरीफ की तिलावत हो रही थी, उस वक्त वहां मौजूद हर शख्स, चाहे किसी भी धर्म का हो, अल्लाह की याद में मग्न था। मस्जिद की फिजा में सिर्फ मोहब्बत और भाईचारे की खुशबू महसूस हो रही थी।  
आपसी समझ और सम्मान का महत्व:
धार्मिक एकता और आपसी समझ तभी संभव है, जब हम सभी एक-दूसरे की मान्यताओं और परंपराओं का सम्मान करें। हुसैनी जामिया मस्जिद में हुए इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि चाहे हमारे रास्ते अलग-अलग हों, मगर हमारी मंजिल एक ही है। इंसानियत और भाईचारा।  
कुरान और वेदों का समान संदेश
अगर कुरान शरीफ में मोहब्बत, रहमत और भाईचारे का संदेश है, तो वेद और उपनिषद भी यही शिक्षा देते हैं। सभी धर्मों की मूल भावना एक ही है। इंसानियत की सेवा गणेश जी पत्ती जैसे लोग इस भावना को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।  समाज के लिए प्रेरणा
हुसैनी जामिया मस्जिद में हुए इस आयोजन ने समाज को यह संदेश दिया कि धर्म सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें इंसानियत की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। हाफिज यूसुफ सिद्दीकी की तिलावत और मौलाना शाहबाज आलम अशरफी की तकरीर ने यह साबित किया कि धर्म को समझने के लिए दिल में मोहब्बत और आंखों में इंसानियत का नूर होना जरूरी है।  
निष्कर्ष:
हुसैनी जामिया मस्जिद में कुरान शरीफ की तिलावत और मौलाना शाहबाज आलम अशरफी की तकरीर ने समाज को धार्मिक सौहार्द और भाईचारे का अनमोल संदेश दिया। कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है और जब हम मिलकर इबादत करते हैं, तो खुदा भी खुश हो जाता है। इस तरह के आयोजनों से समाज में अमन और मोहब्बत की फिजा हमेशा कायम रह सकती है।
पता: गणेशी पट्टी!
पोस्ट: देवरिया पांडे 
थाना: रविंद्र नागर 
जिला: कुशीनगर! उत्तर प्रदेश 
मोबाइल:न०08787059093

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