घटिया निर्माण पर भड़के ग्रामीण: अमही गांव में नरेगा से बन रही सड़क और अन्य कार्यों में मटेरियल की भारी अनियमितता का आरोप
अजय कुमार गौड़ की रिपोर्ट
कुशीनगर: जनपद के दुदही ब्लाक क्षेत्र के ग्राम सभा अमही में नरेगा योजना के तहत हो रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि विनोद यादव के घर से पानी टंकी तक बन रही सड़क में घटिया ईंटों और निम्न स्तर के मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि ईंटें इतनी कमजोर हैं कि दबाने पर टूट जाती हैं, और निर्माण स्थल पर मौरम व बालू की गुणवत्ता भी बेहद खराब है। इसको लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने इस संबंध में ग्राम सचिव रवि शंकर जायसवाल से शिकायत की है। ग्राम सचिव ने आश्वासन दिया है कि मामले की जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत में सिर्फ सड़क ही नहीं, बल्कि अन्नपूर्णा भवन और छठ घाट के सुंदरीकरण कार्य में भी घटिया मटेरियल का प्रयोग कर धन का बंदरबांट किया जा रहा है। गांव के लोगों का कहना है कि कार्य योजनाओं के नाम पर बड़ी धनराशि उठाई गई, लेकिन ज्यादातर कार्य या तो अधूरे हैं या बिल्कुल शुरू नहीं किए गए स्थानीय निवासीयो का कहना है कि गांव में हर बार विकास कार्यों का ढिंढोरा पीटा जाता है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सड़क निर्माण में ईंटें टूट रही हैं, लेवलिंग गलत है। और मौरम की जगह मिट्टी डाली जा रही है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस तरह की लापरवाही से सरकारी धन की खुली लूट हो रही है। जबकि गांव के विकास कार्य सिर्फ कागजों पर पूरे दिखाए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला प्रशासन और ब्लॉक स्तर की टीम मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच करे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए उधर, ग्राम सचिव रवि शंकर जायसवाल ने बताया कि शिकायत प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि “मामले की जांच कराई जाएगी, यदि निर्माण कार्य में कोई गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर होंगे गांव अमही में नरेगा के तहत हो रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता पर उठे सवाल स्थानीय शासन व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। ग्रामीणों की नाराजगी यह दर्शाती है। कि पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी से सरकारी योजनाओं का असली उद्देश्य — ग्रामीण विकास — कहीं पीछे छूटता जा रहा है।
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