ठकराहां प्रखंड कीं भौगोलिक स्थिति इस तरह है।
प्रमोद साह की रिपोर्ट
बिहार: ठकराहाँ पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अरविंद तिवारी ने ठकराहाँ ब्लाँक बाजार में कहा कि काफ़ी समय बाद बाल्मीकी नगर लोकसभा उप चुनाव तथा विधानसभा का चुनाव एक साथ है। ठकराहां प्रखंड कीं भौगोलिक स्थिति इस तरह की है। कि इसके विकास की बात बालमिकी नगर लोकसभा या विधानसभा के अन्य क्षेत्रों के साथ नहीं की जा सकती हैं। जहां तक समस्याओं की बात है लिस्ट लम्बी हो सकती है परन्तु मैं यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण सार्वजनिक समस्याओं पर अपना विचार रख रहाँ हूँ , संभव है सभी सहमत नहीं हो सकते विचारों की भिन्नता स्वाभाविक होती है। कोई किसी दल से जाति के नाम पर , कोई विचारधारा के नाम पर, कोई व्यक्तिगत स्वार्थ या लाभ के लिए एवं कोई आपसी प्रतिद्वंद्वीता या वर्चस्व के कारण जुड़ें है या जुड़ जातें है। इसके चलते सार्वजनिक विषय गौड़ हो जाते है। प्रखंड स्तर पर भ्रष्टाचार चरम पर है और इसमें हमीलोगों के बीच का व्यक्ति इसका साधन बन जाता है। उदाहरण के तौर पर शौचालय योजना को ही देखें तो कहने कि आवश्यकता नहीं है इस योजना का ज़मीनी हक़ीक़त क्या है तथा इसका भुगतान कैसे होता है। योजनाओं की गुणवत्ता पर सभी दल अपनी बातें रख रहे है। इसमें विस्तार में नहीं जाना चाहता कोई उम्मीदवार भी प्रत्यक्ष रूप में नहीं जाना चाहेंगे क्योंकि उन्हें सभी वर्गों का वोट प्राप्त करना होता है। इसपर चुनाव के बाद निराकरण के विभिन्न प्लेटफ़ार्मों पर ज़ाया जा सकता है। सार्वजनिक जो समस्याओं पर आये तो पहला चिर-परिचित पक्का पुल का है- यह माँग क्षेत्र के लोगों के हित में है, साथ ही इसके निर्माण से NH 28 यानी तमकुही से बेतिया, मोतिहारी रक़्सौल मुजफ्फरपूर कीं दूरी काफ़ी कम हो जाती है साथ ही कुशीनगर लौरियागढ़ का सीधा सम्पर्क होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा इसके लिए लोकसभा उम्मीदवार ज़्यादा कारगर हो सकते है अतएवं उनके सामने मात्र इसी माँग को रख कर लिखित आश्वासन लिया जाय तथा इसके लिए उन्हें छ: माह दिया जाय इसके बाद वे क्षेत्र के आकर बताये क्या प्रयास एवं प्रगति उनके दूारा की गयी है। इसमें विधायक उम्मीदवार को दिया जाय तथा उनसे भी प्रयास की जानकारी लिया जाय दूसरा तत्कालीन माँग हो कि गडंक नदी पर पीपा पुल की उपयोगिता बताएँ, दिसम्बर में पीपा लगने से क्या फ़ायदा जब रबी फ़सल बोने का समय ख़त्म हो जाता है। लिखित दें कि पीपा पुल हरहाल मे 15 नवम्बर तक चालू हो जाय इससे रही की बुआई समय पर हो सकती है साथ ही अगर 15 नवम्बर नियमित रूप से स्थापित हो जाय तो रबी के साथ गन्ना की भी भविष्य में बुआई संभव है। तीसरा गन्ना किसानों का शोषण परिणामस्वरूप दुर्दशा ।ठकराहां एक ऐसा क्षेत्र है जो गन्ना का रिज़र्व क्षेत्र नहीं है, अगर किसी सुगर मिल से संबद्ध हो जाय तो किसानों को निश्चितता हो जायेगी तथा बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी । सरकार एवं मिल से किसानों को खाद बीज पर सब्सिडी भी मिलेगा । इसके अतिरिक्त माँग रहे कि सीज़न के चार महीने माप तौल विभाग का अस्थायी कार्यालय प्रखंड में खोला जाय चौथा समस्या पलायन का है यहाँ पलायन दो रूप में है पहला बाढ़ कटाव से पलायन दूसरा रोज़गार के लिए पलायन । बाढ़ कटाव को माँग रहे कि इसे इंजीनियर तथा ठीकेदार के लिए दुधारू गाय बनाने से रोका जाए तथा गुणवत्ता के साथ कटाव नियंत्रण का कार्य हो तथा विधायक लगातार भ्रमण कर सुनिश्चित करने का आश्वासन दे । तत्काल रोज़गार हेतु पशुपालन मत्स्य पालन की भूमिका अहम होगी । सुधा डेयरी बिहार सरकार का उपक्रम है विधायक के छोटे प्रयास से यहाँ सुधा का दूध कलेक्शन सेंटर स्थापित हो सकता है, गोपालगंज बेतिया से सड़क सम्पर्क अच्छा है अत: दूध एवं मछली के उत्पादन में हज़ारों लोगों को रोज़गार के अवसर मिल जायेगा, घर घर गाय भैंस हो जायेगी कार्बनिक खाद का भी व्यवसाय बढ़ जायेगा, सरकार द्वारा इन व्यवस्थाओं पर सब्सिडी भी है। यह माँगे आसान एवं व्यवहारिक है, सांसद या विधायक के थोड़े प्रयास से मिल सकते है। लेकिन इसके लिए सभी वर्गों में एकजुटता दिखाने की आवश्यकता है। कहीं भी सौ फ़ीसदी एकजुटता संभव नहीं है परन्तु प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए ठकराहां की भौगोलिक स्थिति तथा कम संख्या में मतदाता मतदान एवं कुछ निजी स्वार्थ विकास का बाधक बन जाता है। इस संबोधन के दौरान पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अरविंद तिवारी के साथ ललित तिवारी , मेघा चौधरी , फरहान अंसारी, रमेश राम,सुरेश तिवारी ,रामाधार साह , मोनू कुशवाहा समेत काफी लोगों ने इनके सुझाव का सराहना किए।
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