बिहार में भूमि विवाद निपटाने के लिए नीतीश सरकार का बड़ा कदम, जारी किए गए कई अहम निर्देश
डॉ० गौहर अंसारी की रिपोर्ट
बिहार में जमीन विवाद (Land Dispute Cases) से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar) लगातार जरूरी कदम उठा रही है। इसी के मद्देनजर सरकार ने तय किया है कि अब ग्रामसभा से पास होने वाली वंशावली ही मान्य होगी ग्रामसभा से बिना पास कराए वंशावली की कोई मान्यता सर्वे काम में नहीं होगी दरअसल, जमीन विवाद में होने अपराधों पर लगाम को लेकर प्रदेश सरकार लगातार जरूरी कदम उठा रही है। सीएम नीतीश कुमार खुद ऐसे मामलों को लेकर अधिकारियों को जरूरी निर्देश जारी करते रहे हैं। इसी बीच अब सरकार ने तय किया है। कि सर्वे के दौरान दी जाने वाली वंशावली ग्रामसभा से पास करानी होगी
जानिए नीतीश सरकार ने क्यों लिया ये फैसला : बिहार में नए सिरे भूमि सर्वे का काम किया जा रहा है। जिसके जरिए जमीन के मालिक की पहचान होती है। प्रदेश में अभी जो सर्वे है वो करीब सौ साल पुराना है। खतियान भी उसी समय का है। जिसमें जमीन अब भी लोगों के पूर्वजों के नाम पर दर्ज है, जबकि कई बार बंटवारा होने के बाद जमीन का स्वामित्व बदल चुका है। नए स्वामित्व की पहचान के लिए वंशावली जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने ये फैसला लिया है, जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सर्वे के लिए दी जाने वाली वंशावली को ग्रामसभा से पास करा लें राजस्व और भूमि सुधार विभाग की ओर से जारी किए गए कई अहम निर्देश : सरकार की ओर से जारी निर्देश में ये भी कहा गया है कि वंशावली को लेकर ग्रामीणों की ओर से दी जाने वाली हर जानकारी को भी नोट किया जाए ऐसा इसलिए क्योंकि सर्वे के बाद नया खतियान बनाने में इन बातों का जिक्र करना जरूरी होगा बताया जा रहा कि ग्रामसभा से वंशावली को पास कराने के पीछे मुख्य वजह यही है। कि कोई भी व्यक्ति गलत वंशावली नहीं दे सके। सर्वे में जरूरी है कि वंशावली उस पीढ़ी से शुरू हो जिसके नाम से खतियाने में जमीन है। बाद में जिसने भी उस जमीन को बेचा या खरीदा है। तो इसका भी पता चल सकेगा आखिर जमीन की बिक्री सही व्यक्ति या हिस्सेदार ने ही की है।
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प्रक्रिया पूरी होने से जमीन के विवाद हो जाएंगे खत्म : ग्रामसभा में नई वंशावली के पास होने पर अगली पीढ़ी में जिसकी जमीन को लेकर जितनी हिस्सेदारी होगी उसे उनके नाम पर दे दिया जाएगा सर्वे में यह प्रक्रिया पूरी होने से जमीन से जुड़े विवाद जड़ से खत्म हो जाएंगे जितने हिस्सेदार होंगे उनके नाम पर सर्वे में जमीन का हिस्सा चढ़ जाएगा इसके बाद नए सिरे म्यूटेशन कराने की जरूरत नहीं होगी हालांकि, इस दौरान अधिकारियों को ध्यान रखना होगा क्योंकि एक बार गलत नाम चढ़ने पर उसमें सुधार कराने में काफी मुश्किल आएगी।
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