आवास बनवाने के चक्कर में मिट गया पोखरों का अस्तित्व
लकमुद्दीन अंसारी की रिपोर्ट
कुशीनगर: जिले में अनुमानित लगभग 2100 पोखरे व तालाबों का अस्तित्व है। खुद विभाग के पास भी आंकड़ा नहीं है कि कितने पोखरे बचे हैं और कितने का वजूद मिट गया। नए पोखरों की भले ही खोदाई तो कराई जा रही हो पर पुराने पोखरों पर किसी की नजर नहीं प्रशासन के पास 200 से अधिक, पोखरों पर अतिक्रमण कर उनके वजूद मिटाने की शिकायतें बता रही हैं कि आवास बनवाने की हसरत गांव, नगर के पोखरों को कैसे निगल रही है। अतिक्रमण कर या तो पक्का मकान बना लिए जा रहे हैं या फिर उस पर कब्जा कर अपनी झोपड़ी डाल ली जा रही है। गांव बसडीला बुजुर्ग, परेवाटार, खजुरिया में पोखरे पर अतिक्रमण एक बानगी भर है। हालत यह है कि जनपद में लगभग 60 फीसद तालाबों पर लोगों का कब्जा है। न्यायालय और प्रशासन के सख्त कदम के बाद भी पोखरों के मिटते वजूद के बीच आमजन को खड़ा होना होगा, तभी पोखरों को जीवन मिल सकेगा। गांव हो नगर, पोखरे व तालाब के वजूद पर संकट बढ़ता ही जा रहा है। क्योंकि लगातार अतिक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर प्रशासन तक पहुंची शिकायतों पर भी जो प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए, नहीं हो रही है। अतिक्रमण के मकड़जाल में दम तोड़ते पोखरों व तालाबों का पानी भी पूरी तरह से साथ छोड़ चला।
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