400किमी की दूरी तय करके लखनऊ तक पहुंचे वन मित्र, लक्ष्य सैफई

लकमुद्दीन अंसारी की रिपोर्ट
कुशीनगर: स्व० मुलायम सिंह यादव के प्रथम पुण्यतिथि पर अनोखी श्रद्धाजंलि देने साईकिल से निकले पड़े है वन मित्र,
- जहां हुई शाम वही है ठिकाना, जो मिला वही खा पी लिये वन मित्र,
स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के प्रथम पुण्यतिथि पर पौधारोपण करने का लक्ष्य लेकर अपने एक मित्र के साथ घर से निकले वन मित्र जितेंद्र गोपाल अपने साईकिल यात्रा के छठवे दिन लगभग 400 सौ किमी की दूरी तय करके लखनऊ तक पहुंच चुके है। इनका लक्ष्य सैफई है। 10 अक्टुबर को स्व० मुलायम सिंह की पहली पुण्यतिथि है। उनके समाधि स्थल के इर्द गिर्द वृक्षारोपण करने के उद्देश्य से निकले वृक्ष मित्र अपनी नर्सरी से 7 फिट की ऊँचाई तक के तीन पौधे भी अपने साथ ले गए है। जिसमे बरगद, पाकड़ और पीपल का पेड़ है। जिसको उन्होंने अपने साईकिल में बांधकर यात्रा पर निकल पड़े है।
विदित हो कि कुशीनगर जिले के बभनौली गांव निवासी 50 वर्षीय जितेंद्र यादव जिनको इलाके के लोग वृक्ष मित्र के नाम से भी जानते हैं, वो स्व० मुलायम सिंह यादव के प्रथम पुण्यतिथि पर अनोखे रूप में श्रद्धांजलि देने जा रहे हैं। इनकी यह साईकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पेड़ लगाने और उसको संरक्षित करने का संदेश देना है। पेशे से मजदूर जितेंद्र अपनी पुरानी साइकिल पर अपने एक साथी धर्मू गोंड के साथ हरा रंग का टी-शर्ट और ऊपर तिरंगा लगाएं दो साइड में तीन पौधे को रखकर जा रहे हैं। खबर लिखे जाने तक अपने यात्रा के छठवे दिन लगभग 400किमी की साईकिल से यात्रा तय करके वो प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक पहुंच चुके है।
कौन है वृक्ष मित्र जितेन्द्र गोपाल
नेबुआ नौरंगिया विकास खण्ड के दक्षिणी किशोर का आखिरी एक छोटे से गाँव मठियाधीर के रहने वाले जितेंद्र प्रसाद गोपाल हम सभी से अलग है। बचपन में अपने अध्यापक गणपति गुप्ता के पढ़ाए पाठ को जितेंद्र ने इस तरह पढ़ा कि आज जितेंद्र अपने साथ-साथ अपने पूरे इलाके में सभी की प्ररेणा बन गए हैं, और इसका वजह है पर्यावरण के प्रति उनका आपार लगाव। पेशे से मजदूर जितेंद्र की आर्थिक स्थिति कोई बहुत सुद्ध नहीं है लेकिन पौधे लगाने का संकल्प पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी नर्सरी बना रखी। जितेंद्र ने बताया शादियों और पार्टियों में प्लास्टिक के ग्लास का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें फेंक देते हैं। हम सभी उन गिलासों को लाते हैं और उनमें तुलसी सहित अन्य और छोटे पौधे उगाते है। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्र से दलिया की खाली पैकेट इकट्ठा करके उनमें पेड़-पौधे तैयार करते हैं। जबकि हमारे आस-पास किसी के यहां छत लगती है तो 'उनके यहाँ से सीमेंट का बोरी ले आते हैं। जिसमें  बरगद, पीपल, नीम, पाकड़ जैसे बड़े पेड़ तैयार करके उन्हें बेहतर जगहों पर लगाते हैं। वृक्ष मित्र जितेंद्र प्रसाद गोपाल आजतक 30 हजार से ज्यादा पेंड तैयार कर चुके हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि 1985 से शुरू हुआ यह सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा। हमारे इस काम मे हमेशा मेरा परिवार ने सहयोग किया है। हमारी यही कोशिश रहती है कि कही भी हमारी धरती वृक्षविहीन न रह जाए जितेंद्र गोपाल की इन्ही मेहनत और लगन के चलते पूरे इलाके में अलग पहचान बन चुके हैं वहीं जनपद के करीब 45 ग्राम प्रधान इन्हें वृक्ष मित्र जैसी उपाधि से भी सम्मानित कर चुके हैं।

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