मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को रहमानिया स्कूल में किया गया याद

     हेड मास्टर सदरे आलम साहब
एम. ए. हक 
कुशीनगर: जनपद के विकास खण्ड पडरौना क्षेत्र के अंतर्गत पडरौना दुदही रोड के समीप सेमरा हर्दो में मदरसा रहमानिया इस्लामिया स्कूल में भारत के पहले शिक्षा मंत्री तथा भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन के मौके पर दुआ किया गया इस प्रोग्राम का आगाज़ बेहद खूबसूरत अन्दाज में कक्षा-1 के लड़के असारीफ़ मुजफ्फर हुसैन ने तेलावते कलाम पाक से शुरू किया , उसके बाद स्कूल के हेड मास्टर सदरे आलम ने बच्चों को मौलाना आजाद के बारे में बताते हुये कहाँ कि मौलाना आज़ाद बेहद सादगी के साथ अपना जीवन व्यापन किया, उनका जन्म मक्का शहर सऊदी अरब में 11 नवम्बर सन 1888 को हुआ था उनकी माँ भारत की रहने वाली थी और मौलाना को भी हिन्दुस्तान से बेहद बेपनाह मुहब्बत थी उस समय भारत अंग्रेजों का ग़ुलाम था उन्होंने महात्मा गांधी, सरदार पटेल, इत्यादि लोगो के साथ मिलकर देश को आज़ादी दिलायी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के अनुरोध पर देश के पहले शिक्षा मंत्री का कार्य भार सम्भाला मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। मौलाना ने अपने जीते जी भारत रत्न लेने से मना कर दिया था, मौलाना अबुल कलाम आजाद को 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया मौलाना को इतनी सादगी पसंद थी कि जब उनकी मौत हुई तो उनकी आलमारी से सूती खादी के सिर्फ दस जोड़ी कुर्ते पैजामे मिले बैंक में कोई खाता नहीं था उनके पास यूजीसी से लेकर देश भर में आईआईटी की स्थापना के लिए न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया उनकी एहसानमंद है।
मौलाना आज़ाद ने शिक्षा और साहित्य में अमूल्य योगदान करते हुए साहित्य आकादमी, संगीत नाटक आकादमी तथा ललित कला आकादमी की स्थापना की थी दर्जनों किताबों की रचना उन्होंने की और तो और सबसे कम उम्र में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और लगातार पांच साल तक वे अध्यक्ष पद पर रहे पाकिस्तान निर्माण के वे घोर विरोधी थे हिंदुस्तान से पाकिस्तान पलायन कर रहे मुसलमानों को रोकने के लिए दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों से दी गई उनकी तकरीर(भाषण) आज भी प्रासंगिक है। देश निर्माण की राह में मौलाना का अनगिनत और अतुलनीय योगदान रहा है। इस कार्यक्रम को मदरसा के नाज़िम अहमद कमाल अब्दुर्रहमान नदवी कसया से लाइव हो कर गाइड करते हुये उन्होंने इस शेर से मौलाना आजाद के जिंदगी पर रोशनी डाली - सदियों में पैदा होता है नज़ीर इसका ,तलवार है तेजी में सहबाये मुसलमानी, और इस प्रोग्राम में हाफिज मुजफ्फर हुसैन, प्रधानाचार्य सदरे आलम, मिस जोहरा खातून, गुलअपसा खातून, तबस्सुम खातून, नाज़िदा खातून, मास्टर ओसामा अहमद, कारी जिब्रील, तथा मदरसा के सारे छात्र एवं छात्राएं उपस्थित हुये।

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