लाकडाउन मे प्राइवेट स्कूलों एवं संस्थानों के अध्यक्ष एवं प्रवंधक हुए मालामाल शिक्षक हुए बेरोजगारी के शिकार
योगेंद्र यादव की रिपोर्ट
महराजगंज: उत्तर प्रदेश के हर जिले का एक ही हाल एक तरफ जहा लोगों ने बेरोजगारी की भयावहता का दंश झेला एवं जो भी रोजगार के साधन थे समाप्त हो गए चाहे बात मजदूर की हो या प्राइवेट कामगारो की या करीगरो की जो बाहर देश या विदेश के विभिन्न स्थानों मे जाकर काम करने वाले लोगों का सभी का एक ही हाल है। और वह कि बच्चों की भविषय कैसे सावरे एक गर्जियांन के ऊपर दोहरी मार पड़ी है। एक तो बच्चों की पढाई नही हुई, वही दूसरे कालेजो , संस्थानों की दवाव साथ ही, बच्चों की भविषय की चिंता कुछ प्राइवेट शिक्षकों का कहना है। कि एक तरह से हम भी बेरोजगार हो गये है। अगर वे खुल कर सामने आते हैं तो उन्हे कालेज में पुन: पढ़ा ने का मौका से भी हाथ धोना पड़ सकता हैं। कुछ बुध्दाजिवियो का कहना है। कि इसमें सरकार को पहल कर बीच का रास्ता निकालना चाहिए जिससे अविभावक् पर दोहरी मार न पड़े कोरोना काल में पढ़े लड़के अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है। उनकी हालत ऐसी है। कि वे आँख पर पटटी ब धे घोड़े पर सवार हो, जो कब गिरा दे पता नहीं अब देखना ऐ है कि सरकार कुछ पहल करती हैं। या यू ही मुक् दर्शक बनी रहती हैं। चाहे जो कुछ भी हो, इसमें तो सबसे ज्यादा छति तो देश के भविष्य के नव जवान युवाओ की हुई है। जिसे दशकों तक भरपाई नही की जा सकेगी।
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