बरसात में जलमग्न हो जाता है। महामाया पॉलीटेक्निक कॉलेज

लकमुद्दीन अंसारी की रिपोर्ट
मंसाछापर के सरेह (खेत) में स्थित है। ये कालेज
कुशीनगर: जनपद के विशुनपुरा ब्लॉक के मंसाछापर गांव स्थित महामाया आईटी पॉलीटेक्निक कॉलेज की स्थिति आजकल अति दयनीय हो गयी है। दरअसल यहां पर हर वर्ष बरसात के मौसम में करीब चार महीने तक जलभराव की स्थिति बनी रहती है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है। कि निर्माण के समय जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया था और सरेह (खेत) में कॉलेज का निर्माण कराने इस प्रकार की दिक्कते आ रही है। कोविड की वजह से बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है, जिसके कारण फिलहाल उन्हें कोई समस्या नहीं हुई लेकिन उसके पहले अनेको परेशानियों के चलते विद्यार्थियों को देवरिया पॉलीटेक्निक कॉलेज में शिफ्ट कराना पड़ा था मंसाछापर गांव के सरेह में दिसंबर 2017 में महामाया आईटी पॉलीटेक्निक कॉलेज का संचालन शुरू हुआ था निर्माण के समय जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया था और कॉलेज को गांव के बाहर सरेह (खेत) में बनवा दिया अब जैसे ही बरसात शुरू होती है। छात्रों को देवरिया पॉलीटेक्निक कॉलेज में चार महीने के लिए शिफ्ट कर दिया जाता है। जिसके चलते इस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को परेशानियों की दोहरी मार झेलना पड़ता है। क्योंकि उन्हें चार महीने के लिए देवरिया में किराए पर कमरा लेकर रहना पड़ता है। अनेको बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से लेकर मंत्री तक अनेको लोगों और छात्रों ने इस समस्या से अवगत करवाया है। लेकिन किसी ने भी इस तरफ आज तक मुड़कर भी नही देखा है। इस वर्ष अप्रैल के मध्य माह से ही बरसात हो रही है। तभी से इस कॉलेज पर जाने वाले सभी रास्तों पर करीब तीन फीट तक का जलभराव हो गया है। और यह जगह सरेह में होने के कारण चारो तरफ के क्षेत्रों का पानी यही से होकर जाता है। लोगों का कहना है। कि करोड़ों रुपये की लागत से कॉलेज का निर्माण करा दिया गया है। उक्त कॉलेज में करीब 600 प्रशिक्षु विभिन्न ट्रेडों का प्रशिक्षण लेते हैं। पर बरसात और जलभराव के कारण कॉलेज का कोई भी स्टॉफ न हीं आता है। और ना ही वहा जाता है। इस संबंध में कॉलेज के प्राचार्य प्रेमचंद्र गुप्त ने बताया कि दो माह पूर्व ही इस कॉलेज का कार्यभार संभाले हैं। उक्त समस्या से डायरेक्टर को लिखित रूप से अवगत करा दिया गया है। इसके पहले भी सभी जनप्रतिनिधियों और अफसरों को समस्या से अवगत कराया गया है। लेकिन अभी तक कोई भी सटीक व्यवस्था नहीं हो सका है।

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