जिस्म व रूह को पाक कर देता है रोज़ा : मौलाना सलामत


लकमुद्दीन अंसारी की रिपोर्ट 
ईद से पहले अदा करें सदक़ा-फ़ितरा व ज़कात
कुशीनगर: रोज़ा जिस्म व रूह दोनों को पाक पवित्र कर देता है। रोजेदार सिर्फ खाने पीने के मामले ही में नहीं बल्कि सभी प्रकार के मामलात में रोज़े से ही होता है। उसका सोना जागना चलना फिरना अर्थात सारा वजूद इबादत ए इलाही में होता है। यह बात मौलाना सलामत साहब मदरसा खड्डा ने  
बताया उन्होंने कई रियासत हुसैन के साथ ही क़ुरआन और हदीस की ओर से दलाइल पेश करते हुए कहा कि हक़ीक़त में रोज़ेदार सच्चा मोमिन होता है। क्यूँकि उसके हाथ, पैर, आँखें, नज़रे, ज़बान, कलाम, कान और दिल ओ दिमाग़ सभी हर प्रकार की गंदगी और बुराई से पाक होते है।
कहा कि रमज़ान का महीना लोगों को पारसा बना देता है। उन्होंने कहा कि लोगों को रोज़ा इफ़्तार कराने का जो सवाब है, उसको लोग समझ लें तो फिर लोगों को ढूंढ ढूंढ कर इफ़्तार कराएँगे उन्होंने सदक़ा ए फितर और ज़कात पर भी चर्चा करते हुए मज़हबी फायदे के साथ ही इसके समाजी फायदे पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हक़ीक़त में रमज़ान के रोज़े इंसान को इंसान बना देते है जिस्म और रूह की पाकीज़गी हासिल रोज़े से ही होती है। कहा कि रमज़ान के सदक़ात ज़कात बगैरा जज़्बा ए ईसार पैदा करते है। रियासत हुसैन ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सदक़ा ए फितर और ज़कात समय रहते यानी कि ईद से पहले ही अधिक से अधिक अदा करें जिससे कि गरीब भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।

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