रमजान का आगाज, मस्जिदें नमाजियों से हुई गुलजार मौलाना महबूब आलम

लकमुद्दीन अंसारी की रिपोर्ट 
रोज़े का मकसद केवल भूके वह प्यासा रहना नहीं है मौलाना महबूब आलम
कुशीनगर: माहे रमजान का चांद नजर आते ही रमजान की तैयारियों को लेकर जहां बाजारों में रौनक बढ़ने लगी,वहीं मस्जिदों में भी नमाजियों की तादाद में इजाफा हो गया।मुस्लिम समाज के लोगों ने रमजान की तैयारियों को लेकर बाजारों में सेवइयां,डबल रोटी तथा अन्य खाने-पीने की जरुरी चीजों की जमकर खरीदारी की रात्रि में रमजान शरीफ में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज (तरावीह) मस्जिदों में बड़ी संख्या में नमाजियों ने नमाज अदा की मस्जिद प्रथम दिन नमाजियों से खचाखच भरी हुई थी जामा मुहम्मदी मस्जिद के इमाम मौलाना महबूब आलम मदरसा मोहम्मदिया कस्बा कप्तानगंज ने तरावीह की नमाज के बाद अपने संबोधन में रमजान की अहमियत बयान करते हुए कहा कि रमजान (रोजे) का मकसद केवल भूखे वह प्यासा रहना नहीं है,बल्कि उसका असली अर्थ यह है कि हम अपने पड़ोसियों की,गरीबों की भूख और प्यास का भी ख्याल रखें,अगर आपके पड़ोस में कोई गरीब या कोई व्यक्ति भूखा है और उसके घर में भोजन नहीं है,उसका एहसास करें उसको खाना पहुंचाएं।रमजान के पहले अशरा में यानी रमजान के पहले दस दिन रहमत और बरकत का आसरा होता है,इसमें पूरी मानवता के लिए पूरी इंसानियत के लिए और अपने देश के लिए दुआ करें, मानवता और सुख शांति की दुआ कराई गई।

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