मेरे इमाम हुसैन ने आखिरी दम तक नही छोड़ा सजदा - मुफ़्ती मुहम्मद शाहबाज आलम अशरफी
एम. ए. हक
इमाम हुसैन की याद में रोजा रखा जाए कुरान की तिलावत किया जाए लोगों को शरबत पिलाया जाए मजबूर यतीम की मदद की जाए - मुफ़्ती मुहम्मद शाहबाज आलम अशरफी
इमाम हुसैन की याद उस तरह मनाएं की दुनियां इमाम हुसैन की हयात को पढ़े - मौलाना इमरान अली इशाअती
कुशीनगर: गम्मे हुसैन ग़म भी हैं, ग़म की दवा भी हैं। इमाम हुसैन को याद करना हमारे लिए ख़ुशी की बात है। लेकिन अफ़सोस है। कि हम इमाम हुसैन को उस तरह से याद नहीं करते जैसे हमें करना चाहिए मुहर्रम उल हराम के दिन खुर्फात की महफिल सजा देते हैं। इमाम हुसैन
की याद उस तरह मनाएं की दुनियां इमाम हुसैन की हयात को पढ़ने लगे उस तरह न माने की लोग गुमराह की तरफ भागने लगे, इमाम हुसैन की याद में रोजा रखा जाए कुरान की तिलावत किया जाए लोगों को शरबत पिलाया जाए मजबूर यतीम की मदद की जाए एक भी तारीख ऐसी नहीं मिलती जिसमें मेरे इमाम के दरवाजे से कोई खाली हाथ गया हो हुसैन की याद में ढोल ताशे ताजिया और हर वह काम जो खिलाफ ए शरअ हो उसे न किया जाए मेरे इमाम ने आखिरी दम तक सजदा नहीं छोड़ा इस बात को भी याद रखा जाए और दुनियां को बताया जाए, और जुल्म के खिलाफ सब्र के साथ आवाज उठाई जाए मेरे इमाम की आखिरी पैगाम है। क्या पूछते हो कि शब्बीर ने क्या-क्या किया ,रग ए इस्लाम को अपना लहू पिला कर रख दिया, क्या खूब है। इंतेक़ाम अंदाज ए शब्बीर अशरफी, लफ़्ज़ ए यजीद को गाली से भी बदतर बना दिया।
👉 मुफ़्ती मुहम्मद शाहबाज आलम अशरफी उत्तर दिनाजपुर, प्रधानाचार्य दारुल उलूम कादिरिया इज़हार उलूम जंगल धरमपुर बिशुनपुरा पोस्ट कठकुइयाँ थाना पडरौना जिला कुशीनगर उ0 प्र0
👉 मौलाना इमरान अली इशाअती इमाम व खतीब जंगल बनबीरपूर (नौकाटोला) पोस्ट कठकुइयाँ जिला कुशीनगर उ0 प्र0
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